गुरुवार, 12 मार्च 2009
अगली होली में...
अगली होली में
अबीर-गुलाल याद करूंगा...
गालों पर लाली याद करूंगा...
कैंटीन के आगे जोर-जोर से ढ़ोलक बजाना याद करूंगा...
ओएसडी का डांटना याद करूंगा...
पेट भर ढ़डई पीना याद करूंगा...
दिन भर नशे में झूमना याद करूंगा ...
जी भर गुजिया और मट्ठी खाना याद करूंगा...
अमित का दिवाकर को गिराना याद करूंगा...
भांग का काजु-बादाम का शरबत याद करूंगा...
भांग की गोली के लिए ओझा सर की मिन्नतें करना याद करूंगा...
चमड़िया सर का प्यार से सिर पर हाथ फेरना याद करूंगा...
प्रधान सर का लंच याद करूंगा...
सच कहूं तो आईआईएमसी की होली याद करूंगा...
अबीर-गुलाल याद करूंगा...
गालों पर लाली याद करूंगा...
कैंटीन के आगे जोर-जोर से ढ़ोलक बजाना याद करूंगा...
ओएसडी का डांटना याद करूंगा...
पेट भर ढ़डई पीना याद करूंगा...
दिन भर नशे में झूमना याद करूंगा ...
जी भर गुजिया और मट्ठी खाना याद करूंगा...
अमित का दिवाकर को गिराना याद करूंगा...
भांग का काजु-बादाम का शरबत याद करूंगा...
भांग की गोली के लिए ओझा सर की मिन्नतें करना याद करूंगा...
चमड़िया सर का प्यार से सिर पर हाथ फेरना याद करूंगा...
प्रधान सर का लंच याद करूंगा...
सच कहूं तो आईआईएमसी की होली याद करूंगा...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें