मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा...

मीना कुमारी को जानने वाले 'क्वीन ऑफ ट्रेजडी' कहते थे क्योंकि वह अपने असल जीवन का दुख ही रूपहले परदे पर जीती थी। उनकी गजलों में भी यह दर्द दिखता है। आज की पोस्ट मीना कुमारी को श्रद्धांजलि।


चांद तन्हा है, आस्मां तन्हा
दिल मिला है, कहां-कहां तन्हा


बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा


जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा

हमसफर कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहें यहां तन्हा

जलती-बुझती-सी रौशनी के परे
सिमटा-सिमटा-सा इक मकां तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा
(साभार- मीना कुमारी की शायरी, लेखक - गुलजार, हिंद पॉकेट बुक्स, दिल्ली )

2 टिप्‍पणियां:

शारदा अरोरा ने कहा…

शुक्रिया मीनाकुमारी की ये खूबसूरत ग़ज़ल पढवाने का ...
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा
और सचमुच वो जहाँ को तन्हाँ ही छोड़ गईं ...जाने वाले के बाद जब वैक्यूम सा लगे ....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया प्रस्तुति।आभार।