सोमवार, 6 जुलाई 2009

बच्चा बच्चा हिंदुस्तानी मांग रहा है पानी

उत्तर प्रदेश का नोयडा औद्योगिक शहर के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। तेजी से बढ़ रहे कंक्रीट के जाल इस शहर को नया रूप देने में कोई कोताही नहीं कर रहे। लेकिन मैंने जब इस शहर को नजदीक से देखा, तो मुझे हैरानी हुई कि यहां पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। मीठा पानी खरीद कर यहां के वाशिंदे अपनी प्यास बूझाते हैं। वैसे मीठे जल को लेकर पर्यावरणविदों की चिंताएं यत्र-तत्र-सर्वत्र पढ़ता रहता हूं, लेकिन मैंने इस इलाके में जो देखा वह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव है।

हाल ही में एक सर्वेक्षण पढ़ा था कि दिल्ली में 25 प्रतिशत लोगों को नहीं मालूम कि यमुना नदी दिल्ली से गुजरती है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि यहां के लोगो का सामान्य ज्ञान कमजोर है। बल्कि मेरा मानना है कि लोग अभी भी पानी को लेकर उतने जागरूक नहीं हुए हैं, जितने होने चाहिए। शायद इसलिए अपनी कुल लंबाई (22 किमी.) की मात्र दो प्रतिशत दिल्ली में बहने वाली यमुना में 80 फीसद प्रदूषण यहीं होता है। ''सेंटर फॉर साइंस एंड एंनवायरमेंट'' की सुनीता नारायण भी कहती है कि 'यमुना दिल्ली में दम तोड़ चुकी है, मात्र उसे दफनाया जाना है।' पानी की ठीक यही कहानी देश के बांकी हिस्सों में भी दिख रही है। बाढग़्रस्त इलाके को छोड़ दें तो कमोबेश भारत का सभी हिस्सा पानी के लिए संघर्ष कर रहा है। मध्यप्रदेश में पुलिस की देखरेख में पानी बांटी जा रही है (वह भी राशन कार्ड के आधार पर), दक्षिण के इलाकों में कई लोग पानी बिना काल के गाल में समा चुके हैं और तो और दिल्ली में ही प्रतिदिन 30 करोड़ गैलन पानी की कमी हो रही है।

आखिर ऐसा क्यों ? कौन है इस विकट स्थिति के लिए जिम्मेदार ? क्या नदी घाटी सभ्यता का अंत पानी नहीं मिलने के कारण होगा ? क्या पानी के लिए तीसरे विश्वयुद्घ की आशंका सही साबित होगी ? इन सवालों के जवाब हमें ही ढूढऩें होंगे। यहां मैं आपको रघुवीर सहाय की यह प्रसिद्ध कविता 'पानी' के साथ छोड़ रहा हूं-

पानी पानी
बच्चा बच्चा
हिंदुस्तानी
मांग रहा है पानी

जिसको पानी नहीं मिला है
वह धरती आजाद नहीं
उस पर हिंदुस्तानी बसते हैं
पर वह आबाद नहीं

पानी पानी
बच्चा बच्चा
मांग रहा है हिंदुस्तानी

जो पानी के मालिक हैं
भारत पर उनका कब्जा है
जहां न दे पानी वां सूखा
जहां दें वहां सब्जा है

अपना पानी
मांग रहा है
हिंदुस्तानी

बरसों पानी को तरसाया
जीवन से लाचार किया
बरसों जनता की गंगा पर
तुमने अत्याचार किया

हमको अक्षर नहीं दिया है
हमको पानी नहीं दिया
पानी नहीं दिया तो समझो
हमको बानी नहीं दिया

अपना पानी
अपनी बानी हिंदुस्तानी
बच्चा बच्चा मांग रहा है

धरती के अंदर का पानी
हमको बाहर लाने दो
अपनी धरती अपना पानी
अपनी रोटी खाने दो

पानी पानी पानी पानी
बच्चा बच्चा मांग रहा है
अपनी बानी
पानी पानी पानी पानी
पानी पानी

3 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है

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चर्चा । Discuss INDIA

Udan Tashtari ने कहा…

रघुवीर सहाय जी की रचना प्रस्तुत करने का आभार.

vijay ने कहा…

achchha likha. rajasthan me isase bhi bure halat hai.